प्रत्याहार

प्रत्याहार:- ‘ब्राह्यणोपनिषद’ में प्रत्याहार कि विवेचना करते हुए बताया है –

‘विषयेभ्य इन्द्रियार्थेभ्यो मनो निरोधन प्रत्याहार’
अपनी समस्त इन्द्रियों को विषय वासना से विरत कर स्वस्थ चित्त होना ही प्रत्याहार कहलाता है।