धारणा

धारणा:- योग सुत्र में लिखा है – वेश वन्र्धाश्चत्तस्य धारणा
चित्त को एकाग्र कर किसी चक्र में पाँच घड़ी तक स्थिर रखने की क्रिया को धारणा कहते है।
वास्तव मे देखा जाए तो जब तक षट् चक्र वेधन पूर्ण रूप से नही हो जाता तब तक चित्त एक चक्र पर स्थिर रह ही नही सकता, अतः षट् चक्र वेधन ही प्रकारान्तर से ‘धारणा’ है। ‘लय योग संहिता’ ने इसी बात कि पुष्टि कि है –
‘ज्योतिषा मन्त्र नादाभ्यां षट् चक्राणांहि, भेदनम-धारणा’