धाम पीठाधीश्वर
पूज्य सरकार जी वर्तमान समय में साहिब दरबार के पीठाधीश्वर के रूप में विराजमान हैं । करुणानिधान श्री साहेब बाबा ने समाधिस्थ होने के 12 वर्ष पूर्व ही अपने सम्पूर्ण सिद्धि एवं शक्तियो तथा धर्म धुरी को सौंप कर पूज्य सरकार जी को साहिब दरबार का पीठाधिपति नियुक्त कर दिए थे। तथा उससे पूर्व ही पूज्य सरकार जी ने सद्गुरुदेव श्री साहेब बाबा से दीक्षा प्राप्त कर नाम जप में लग गये थे, धीरे-धीरे निर्गुण निराकार परब्रह्म की उपासना करते करते सांसारिक विषयों से मुक्त होकर वह स्वयं को परमात्मा में समाहित कर संसार की सेवा में लग गए। पूज्य सरकार जी समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव सेवा, प्रेम से ओत-प्रोत हैं। उन्होंने अपने चिंतन, साधना तथा साहेब बाबा के कृपा से भक्ति के वास्तविक स्वरूप को समझा है और अपने जीवन में इसी का अनुसरण करते हैं।
पूज्य सरकार जी के लिए मानव सेवा ही सच्ची भक्ति एवं धर्म है। इनका जीवन अनुभूतियो से युक्त तथा भक्ति और सच्चाई से पूर्ण होने के कारण सिधे- सिधे जन जन के हृदय को स्पर्श करता है।
पूज्य सरकार जी ने मानवता की भावभूमि पर खड़े होकर एक सामान्य धर्म की प्रतिष्ठा की,जहाँ जाती -पाती धर्म का कोई भेद भाव नही है, उनके लिए प्रकृति में उपस्थित समस्त जीव भगवत स्वरुप है जो की परमात्मा का ही अंश है,उनके जीवन में ज्ञान,प्रेम,भक्ति और कर्म का सुन्दर समन्वय दृष्टिगत होता है। तथा मन की पवित्रता, शुध्दता, सादगी, सहजता, धर्म रहित जीवन पर बल देते हुए साहिब दरबार में आने वाले समस्त दर्शानार्थियों को उनके स्वेच्छा से गुरु दीक्षा प्रदान कर भगवत भक्ति के लिए प्रेरित करते हैं तथा अपने शिष्यों का मार्ग दर्शन करते हुए परमात्मा को केवल मानना ही नहीं उन्हें जानना भी जरूरी है इस संदर्भ में नाम जप, संत सेवा, गऊ सेवा, मानवता की सेवा का अध्याय निरूपित कर देते हैं। जिसके फलस्वरूप शिष्यों के अंतरह्रदय में एक अद्भूत अकल्पनीय परिवर्तन होता है और शिष्य भगवत भक्ति में लग कर मुक्ति के मार्ग पर चल पडता है। साहिब दरबार में आने वाले प्रत्येक जीव की व्याधि, रोग, पीडा, दुःख को अपनी साधनाओं,चमत्कारो तथा करुणानिधान साहेब बाबा के कृपा से जीव को तापो से पूर्ण रूप से मुक्ति दिला कर उन असहाय, बेजान , भटकते हुए लोगो का सहारा बनते हैं!
जब तक जीव की चेतना पूर्ण रूप से जागृत नहीं होती तब तक पूज्य सरकार जी आत्मा से परमात्मा की अनुभूति कराने के लिए शिष्यों के मन को नियंत्रित करने का रसपान कराते रहते हैं। देह धारी जीव की चेतना को जागृत कर उसके हृदय में भक्ति के भाव को उजागर कर शिष्यता के गुणों को स्थानांतरित करके आत्मा से परब्रह्म परमात्मा का साक्षात्कार कराने के लिए दिन रात साधना में लगे रहने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं तथा यही उपदेश पूज्य सरकार जी की शरण में आने वाले प्रत्येक जीव को देते हैं!!